8.7 C
New York
Thursday, March 28, 2024

Buy now

SIP से investment में ये 7 बड़ी गलतियां भूलकर भी न करें, होगा फायदा ही फायदा

SIP से Investment: वेल्‍थ क्रिएटिंग के लिए म्‍यूचुअल फंड की SIP , investment का ऐसा सशक्‍त माध्‍यम है, जिसकी मदद से कोई भी व्‍यक्ति बड़ा कॉरपस बना सकता है। भले ही एसआईपी का यह अमाउंट छोटा क्‍यों न हों।

Advertisement

मान्‍यता थी कि धनवान बनने के लिए आपके पास पहले से बहुत पैसा होना जरूरी है। लेकिन एसआईपी ने धनवान बनने के इस मिथक को ध्‍वस्‍त कर दिया है। अब कोई भी 2000 से 3000 हजार रुपये की एसआईपी से लम्‍बे वक्‍त में बड़ी पूंजी बना सकता है। याद रखें कि एसआईपी अमाउंट जितना बड़ा होगा, समय के साथ रिटर्न उतना ही बड़ा होता जाएगा।

हम यहां मानकर चल रहे हैं कि आप लोग SIP के गुणों से अच्‍छी तरह परिचित हैं। लेकिन निवेश के दौरान कभी-कभार निवेशक जाने अनजाने गलती कर बैठते हैं। इससे उन्‍हें वित्‍तीय नुकसान उठाना पड़ता है। लेख में हम आपको कुछ ऐसी ही गलतियों या मिथक के बारे में बताने जा रहे हैं। इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

1-बड़ी रकम की एसआईपी सोच समझकर करें

निवेशक को एसआईपी अमाउंट उतना ही रखना चाहिए, जितना वह नियमित रूप से निवेश कर सके। जल्‍दी अमीर बनने के चक्‍कर में कुछ निवेशक बड़ी रकम से एसआईपी शुरू कर देते हैं। देखने में आया है कि फाइनेंशियल दिक्‍कत या बड़े खर्चों के चलते अगर कुछ महीने बाद एसआईपी कन्‍टीन्‍यू नहीं रहती तो इस निवेश का कोई खास लाभ नहीं मिलता।

इसलिए आपको मंथली एसआईपी की रकम का चुनाव अपनी सुविधा के हिसाब से करना चाहिए। ये रकम आपको बोझ की तरह नहीं लगनी चाहिए। तभी आप लम्‍बे समय तक नियमित और अुनशासित तरीके से निवेशित रहकर मोटा रिटर्न कमा सकेंगे।

अगर किसी वजह से किसी महीने में एसआईपी की किस्‍त जमा नहीं हो पाती है तब भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। इससे मिलने वाले रिटर्न पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

एक बात और, अगर आप मासिक आधार पर एसआईपी लेने में असमर्थ हैं तो आप त्रैमासिक आधार पर भी एसआईपी में निवेश कर सकते हैं।

इसलिए एसआईपी की रकम अपनी कंफर्ट के हिसाब से ही रखें। ये न तो बहुत ज्‍यादा हो, जिससे अतिरिक्‍त दबाव बनें और न बेहद कम हो जिससे रिटर्न निकालना मुशिकल हो जाए।

ये भी पढ़ें-SIP vs PPF : कौन सा निवेश आपको बनाएगा करोड़पति ?

2-SIP से Investment सिर्फ छोटे निवेशकों के लिए है?

एसआईपी के मामले में कुछ आम मिथक हैं-

1- एसआईपी सिर्फ छोटे निवेशकों के मुफीद है। यानी जिनके पास कम रकम है, सिर्फ उनके लिए एसआईपी सही है।

2-एसआईपी में एकमुश्‍त यानी lumpsum निवेश नहीं किया जा सकता।

कोई भी निवेशक 5 हजार रुपये प्रतिमाह की बजाय 50 हजार और इससे अधिक की धनराशि का निवेश एसआईपी के जरिए कर सकता है। कंपाउंडिंग,एवरेजिंग और Rupee Cost Averaging ऐसे फीचर्स हैं, जिनकी मदद से एसआईपी में निवेशित राशि के छोटे या बड़े होने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

इसलिए आप निर्भीक होकर बड़ी धनराशि का एकमुश्‍त निवेश मासिक एसआईपी से कर सकते हैं। ऐसा करके आप एसआईपी के सभी फायदों को भुना सकेंगे।

3-क्या छोटी अवधि के लिए एसआईपी सही है?

निवेशकों की ओर से सबसे ज्‍यादा की जाने वाली गलतियों में से एक ये भी हैं। एसआईपी के ज‍रिए जितनी धनराशि का निवेश होता है, उस हिसाब से उसकी वैल्‍यू नहीं बनती।

मतलब ये कि निवेशित धन को समय देना भी जरूरी है। जितनी लम्‍बी अवधि का समय देंगे, इन्‍वेंस्‍टमेंट की वैल्‍यू उतनी ही बढ़ेगी। इसलिए छोटी अ‍वधि की एसआईपी से अच्‍छे रिटर्न की उम्‍मीद करना बेमानी है।

अगर आपको हर पॉजिटिव रिटर्न पर एसआईपी से कुछ लाभ बार-बार निकालने की आदत है तो ये आदत आपके निवेश को नुकसान की राह पर ले जाएगी। इसलिए समझदार निवेशकों को धैर्य रखकर निवेशित रहना चाहिए।

ये भी पढ़ें-  लार्ज कैप म्युच्युअल फंड्स क्‍या हैं, इनमें निवेश क्‍यों सुरक्षित है?

4- बाजार की बड़ी गिरावट में एसआईपी बंद करना सही है?

निवेशकों का आम मनोविज्ञान है कि गिरते शेयर बाजार में वे डर के कारण एसआईपी बंद कर देते हैं। जबकि उठते बाजार में लालचवश निवेश का निर्णय ले लेते हैं। यानी निवेशक बाजार को टाइम करने की कोशिश करते हैं, जिसमें वे फेल हो जाते हैं। गिरते बाजार में SIP से Investment बंद करने का फैसला नुकसानदायी होता है।

जानकारी के अभाव में निवेशक घाटा सहकर बाजार से निकल जाते हैं। ऐसा करना निवेशकों की सबसे बड़ी गलती साबित होती है। इससे उन्‍हें बचना चाहिए।

वास्‍तव में निवेशकों के इसके उलट रणनीति अपनानी चाहिए। उछाल के वक्‍त जरूरत होने पर कुछ मुनाफा निकाल लेना चाहिए। वहीं, शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट को अवसर के रूप में देखना चाहिए और उस वक्‍त थोड़ा और पैसा निवेश कर देना चाहिए।

इससे आप कम एनएवी में ज्‍यादा यूनिट्स खरीद सकेंगे। इस रणनीति से आप उम्‍मीद से अधिक रिटर्न कमा सकते हैं।

एसआईपी के निवेशकों को मार्केट के उतार चढ़ाव से कतई घबराना नहीं चाहिए। ऐसी हलचलें तात्‍कालिक यानी कम समय के लिए होती है। इससे लम्‍बे समय की एसआईपी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

ये भी पढ़ें- SIP vs Lump sum:म्युचुअल फंड में किस तरह का निवेश रहेगा फायदेमंद?

5- ग्रोथ की बजाय डिविडेंड ऑप्‍शन चुनने से बचें

डिविडेंड और ग्रोथ ऑप्‍शन को समझने से पहले आपको जानना जरूरी है कि कंपाउंडिंग कैसे काम करता है।

कंपाउंडिंग को दुनिया का आठवां अजूबा कहा जाता है। ये एक इंटरेस्‍ट की ऐसी चेन हैं जो लगातार बढ़ती जाती है। समान अवधि के साधारण ब्‍याज की तुलना में कंपाउंडिंग की वैल्‍यू बहुत अधिक होती है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं।

एक लाख रुपये का निवेश 15 प्रतिशत के कंपाउंडिंग इंटरेस्‍ट की दर से 5 साल में दोगुना होकर 2 लाख हो जाता है। अगर कंपाउं‍ड इंटरेस्‍ट की इस दर को Fix मान लिया जाए तो 2 लाख रुपये अगले 5 साल बाद 4 लाख, 4 लाख अगले 5 साल बाद यानी 15 साल में 8 लाख रुपये हो जाता है।

आप देख सकते हैं कि 1 लाख रुपये किस तरह 15 साल में 8 लाख रुपये हो जाते हैं। मतलब म्‍यूचुअल फंड निवेश को लम्‍बा समय देने की जरूरत है, तभी कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है।

जब आप म्‍यूचुअल फंड की किसी स्‍कीम में निवेश कर रहे होते हैं तो आपको डिविडेंड और ग्रोथ में से किसी एक को चुनना होता है।

डिविडेंड ऑप्‍शन का विकल्‍प चुनने पर फंड की कंपाउंडिंग पर नकारात्‍मक असर पड़ता है। इस ऑप्‍शन की स्‍कीम में समय-समय पर डिविडेंड यानी लाभांश दिया जाता है। इससे कारपस की वैल्यू घट जाती है।

ग्रोथ ऑप्‍शन चुनने पर कोई लाभांश नहीं मिलता। नतीजतन निवेश पर कंपाउंडिंग का पूरा लाभ मिलता है और कॉरपस बढ़ता रहता है।

अगर आपने डिविडेंड ऑप्‍शन ले रखा है और आप इसे ग्रोथ या डिविडेंड रिइन्‍वेस्‍टमेंट में बदलवा सकते हैं। इस तरह आपको अपने निवेश पर ग्रोथ ऑप्‍शन की भांति अच्‍छे रिटर्न मिलेंगे।

इसलिए इस तरह की गलती से निवेशक को बचना चाहिए।

6-SIPs को Boost नहीं करने का फैसला

कई बार ऐसा होता है कि निवेशक के पास नियमित आय के अलावा कुछ अन्‍य सोर्सेज से मोटा पैसा आ जाता है। अगर निवेशक का उन अतिरिक्‍त पैसों की कोई तत्‍काल जरूरत न हो तो उन्‍हें फंड में लगा देना चाहिए। अन्‍यथा वे पैसे खर्च हो जाते हैं।

इसलिए पहले से चालू एसआईपी में अतिरिक्‍त धन का निवेश करने में ही समझदारी है।

देखने में आया है कि ज्‍यादातर निवेशकों को पता नहीं रहता कि वे एकमुश्‍त राशि का निवेश चालू एसआईपी वाले फंड में लगा सकते हैं।

यदि साल में एक बार भी एकमुश्‍त निवेश चालू फंड में किया जाए तो बेहतर रिटर्न मिलने में आसानी होती है। जब कभी आपके पास एकमुश्‍त पैसा आए तो उन्‍हें चालू फंड में अवश्‍य निवेश करें।

7-MF SIP से अभी पैसा निकालते हैं, बाद में करेंगे निवेश

निवेशकों में बहुत बड़ा मिथक हैं कि बड़ी धनराशि का निवेश करने पर ही लुभावने रिटर्न मिलते हैं। कुछ हद तक ये बात सही हो सकती है, लेकिन पूरी तरह कतई नहीं।

जैसे- अगर किसी व्‍यक्ति‍ A ने 50 हजार रुपये की मंथली एसआईपी ले रखी है और व्‍यक्ति B ने 1 हजार की मंथली एसआईपी कर रखी है तो A को समान अवधि में B से अधिक फंड रिटर्न मिलेगा।

निवेशक आमतौर पर जरूरत पड़ने पर अपने सिप इन्‍वेस्‍टमेंट्स से थोड़ा-थोड़ा पैसा निकालते रहते हैं। वे सोचते हैं कि बाद में कुछ अमाउंट स्‍कीम में डाल देंगे।

हालांकि, कभी कभार निवेशक बाद में कुछ पैसा स्‍कीम में निवेश भी कर देते हैं। महज ऐसा कर देने से ये जरूरी नहीं है कि आपका पैसा पहले की तरह ग्रोथ करें।

अपने कॉरपस का कुछ हिस्‍सा redeem करने के 6 माह बाद उतने ही अमाउंट का निवेश करने पर आपको कॉरपस पर बीते 6 माह में अर्जित हो सकने वाले रिटर्न का नुकसान उठाना पड़ता है।

ध्‍यान रखें कि कॉरपस या निवेशित राशि से ही फंड रिटर्न तय नहीं होता,बल्कि अनुशासित तरीके से लंबी अवधि के साथ निवेशित रहने पर ही उम्‍दा रिटर्न हासिल होते  हैं। एसआईपी की यही विशेषता अर्जित रिटर्न के मामले में बड़ा अंतर पैदा करती है।

सबसे खास बात ये कि रिडेम्पशन से लम्‍बी अवधि के लक्ष्‍यों को हासिल करने में बाधाएं उत्‍पन्‍न होती हैं।इसलिए कुछ निवेश सलाहकार एसआईपी से यूनिट्स भुनाने की प्रवृत्ति‍ से बचने की सलाह देते हैं।

म्‍यूचुअल फंड की एसआईपी लम्‍बी अवधि में Wealth Creation का बेहद कारगर माध्‍यम है। इसलिए इनमें पैसे डालने और निकालने का काम बैंक के सेविंग अकाउंट की तर्ज पर नहीं किया जाना चाहिए। आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए।

इसके लिए बैंक के सेविंग अकाउंट अथवा लिक्विड फंड में पैसा रखा जा सकता है। ये रणनीति अपनाने पर आपको निश्चित तौर पर शानदार रिटर्न मिलेंगे।

निष्‍कर्ष-

कहते हैं कि हमें खुद की गलतियों से सबक लेना चाहिए। इसमें थोड़ा और जोड़ते हैं। हमें खुद की और दूसरों की गलतियों से सबक लेना चाहिए। इस नजरिए का इस्‍तेमाल एसआईपी से निवेश यानी सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान में निवेशित रहकर भी किया जाना चाहिए।

यहां हमने आपको कुछ कॉमन गलतियों के बारे में विस्‍तार से बताया है। उम्‍मीद है कि आपको हमारा लेख “ SIP से investment में की इन 7 बड़ी गलतियों से बचे तो कमाएंगे मोटा रिटर्न” जरूर पसंद आएगा। हमारे फेसबुक पेज पर जाकर लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें

अगर आप अगर म्‍युचुअल फंड में नि‍वेश के इच्‍छुक हैं तो ऑनलाइन निवेश के लिए आपको डीमैट अकाउंट खोलना होगा। इसके लिए NJ India Invest Ltd में E Wealth Account  पर जाकर रजिस्‍ट्रेशन करें।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

[td_block_social_counter facebook="tagdiv" twitter="tagdivofficial" youtube="tagdiv" style="style8 td-social-boxed td-social-font-icons" tdc_css="eyJhbGwiOnsibWFyZ2luLWJvdHRvbSI6IjM4IiwiZGlzcGxheSI6IiJ9LCJwb3J0cmFpdCI6eyJtYXJnaW4tYm90dG9tIjoiMzAiLCJkaXNwbGF5IjoiIn0sInBvcnRyYWl0X21heF93aWR0aCI6MTAxOCwicG9ydHJhaXRfbWluX3dpZHRoIjo3Njh9" custom_title="Stay Connected" block_template_id="td_block_template_8" f_header_font_family="712" f_header_font_transform="uppercase" f_header_font_weight="500" f_header_font_size="17" border_color="#dd3333"]

Latest Articles

Translate »