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Thursday, March 28, 2024

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Equity mutual fund की एसआईपी क्‍या अभी बंद कर देनी चाहिए?

Equity mutual fund : अगर आपने इक्विटी म्‍यूचुअल फंड में निवेश किया है तो क्‍या आपको अपना निवेश जारी रखना चाहिए? या एसआईपी बंद कर देनी चाहिए? इनमें चल रहीं एसआईपी में निवेशित रहना कितना फायदेमंद है ? क्‍या इक्विटी म्‍यूचुअल फंड में निवेशित रहकर हम अपने वित्‍तीय लक्ष्‍यों को प्राप्‍त कर सकेंगे? अगर आपके मन में भी ऐसे ही सवालों के बादल घुमड़ रहे हैं तो ये लेख आपके लिये ही है।

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क्‍या Equity mutual fund में निवेश सही है?

Equity mutual fund की एसआईपी के जरिए लम्‍बी अवधि में निवेश करने वालों को इन उतार चढ़ावों से घबराने की कतई जरूरत नहीं है।

बता दें कि केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (Central Statistics Academy) के मुताबिक बीती अप्रैल से जून 2020 तिमाही में अर्थव्‍यवस्‍था ने लगभग 24 प्रतिशत का नेगेटिव रिटर्न दिया। कोरोना काल में अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्‍ती और बाजार के उतार-चढ़ावों volat की वजह से निवेशकों में इस वक्‍त्‍ा ज्‍यादा उत्‍साह नहीं दिख रहा है।

लेकिन सेंसेक्‍स का इतिहास बताता है कि अर्थव्‍यवस्‍था और सेंसेक्‍स में अस्थिरता की ये स्थितियां बार-बार आईं हैं और आती रहेंगी। बावजूद इसके इक्विटी म्‍यूचुअल फंड रिटर्न देने के मामले में सबसे आगे रहे हैं। सबसे पहले हम जानते हैं कि क्‍या हैं इक्विटी म्‍यूचुअल फंड।

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Kya hai equity mutual fund : क्‍या हैं इक्विटी म्‍युुुुुुुुुचुअल फंड

Equity mutual fund : ऐसे म्‍यूचुअल फंड जो निवेशकों के पैसे सीधे कंपनियों में यानी कंपनियों के शेयरों में निवेशित करते हैं, उन्हें Equity mutual fund कहते हैं। Equity mutual fund  की स्‍कीम को चलाने का जिम्‍मा फंड मैनेजर का होता है। फंड मैनेजर तय करता है कि उसे किन किन कंपनियों के शेयरों में कितना निवेश करना है। यह काम वह अपनी रिसर्च टीम की मदद से करता है।

मार्केट कैप के नजरिए से Equity mutual fund तीन प्रकार के होते हैं।

1- लार्ज कैप इक्विटी म्‍युचुल फंड या लार्ज कैप फंड (Large Cap Fund)

2- मिड कैप इक्विटी म्‍युचुल फंड या मिड कैप फंड  (Mid Cap Fund)

3- स्‍माल कैप इक्विटी म्‍युचुल फंड या स्‍माल कैप फंड (Small Cap Fund)

साल 2018 के दौरान बहुत से निवेशक इक्विटी म्‍यूचुअल फंड की ओर आकर्षित हुए।

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मिड और स्‍माल कैप फंड्स के तगड़े‍ रिटर्न ने लुभाया

2017-18 में मिडकैप और स्‍माल कैप फंड्स ने रिकॉर्डतोड़ रिटर्न दिया था। इस दौरान साल 2018 में एसोसिएशन ऑफ म्‍यूचुअल फंड ऑफ इंडिया(AMFII) ने ‘म्‍यूचुअल फंड सही है’ का जागरूकता अभियान शुरू किया। तब बहुत से निवेशकों ने जबरदस्‍त रिटर्न पाने की चाह में म्‍यूचुअल फंड की स्‍कीमों में पैसा डालना शुरू किया।

जनवरी 2018 जाते जाते निवेशकों को लगने लगा कि उन्‍होंने म्‍यूचुअल फंड में निवेश करके भूल कर दी। क्‍योंकि मिड कैप इंडेक्‍स में करीब 25 प्रतिशत और स्‍माल कैप इंडेक्‍स लगभग 40 फीसदी का गोता लगा चुके थे। हालांकि, निफ्टी इंडेक्‍स ने 7 प्रतिशत की उछाल के साथ बाजार का संतुलन बरकरार रखा।

इस सीन के दौरान निवेशकों में बेचैनी बढ़ गई और वे अपनी एसआईपी बंद करने की सोचने लगे। बैंक एफडी और पीपीएफ के रिटर्न से तुलना करने पर कुछ लोगों को एक्विटी स्‍कीम्‍स का नेगेटिव रिटर्न अखरने लगा था।

2019 त‍क आते-आते लार्ज कैप फंड्स बेहतर प्रदर्शन करने लगे और एसआईपी के जरिए निवेश लगातार बढ़ता गया। 2020 में म्‍यूचुअल फंड की लार्ज कैप स्‍कीम्‍स अच्‍छा रिटर्न देने लगीं। निवेशकों ने सेंसेक्‍स 39 हजार के पार जाते ही मुनाफा भी वसूला। अब सितंबर 2020 में दूसरी बार सेंसेक्‍स 39 हजार के आसपास ट्रेंड कर रहा है। अब मिड कैप और स्‍माल कैप स्‍टॉक्‍स भी संभलते दिख रहे हैं।

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एसआईपी से 32 साल में 13% रिटर्न

याद दिला दें कि निचले स्‍तर पर खरीदारी करने पर निवेशकों को अपनी एसआईपी में ज्‍यादा यूनिट्स मिलती हैं। जब बाजार चढ़ता है, तब इन्‍हीं यूनिट्स पर ज्‍यादा मुनाफा मिलता है। अब सेंसेक्‍स का इतिहास और उनके आंकड़ों के हवाले से आपको कुछ बताते हैं। बीएसईइंडियाडॉटकॉम से प्राप्‍त आंकड़ों का विश्‍लेषण करने पर कुछ तथ्‍य सामने आएं हैं-

1-यदि किसी ने जनवरी 1988 से जुलाई 2020 तक एसआईपी के जरिए निवेश किया है।एसआईपी की किस्‍त हर माह की पहली तारीख को कटी हो। तो इस निवेश पर सेंसेक्‍स ने 12.21 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।

2-यदि किसी ने जनवरी 1988 से जुलाई 2020 तक हर साल सेंसेक्‍स के उच्‍चतम स्‍तर (Peak level) पर एकमुश्‍त निवेश (Fixed investment )किया हो। तो इस निवेश पर बाजार ने 11.08 प्रतिशत का रिटर्न दिया।

3-यदि किसी ने जनवरी 1988 से जुलाई 2020 तक हर साल सेंसेक्‍स के निम्‍नतम स्‍तर(Lowest level) पर एकमुश्‍त निवेश (Fixed investment )किया हो। तो इस निवेश पर बाजार ने 13.23 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।

गौरतलब है कि 32 साल के इतिहास में सेंसेक्‍स और अर्थव्‍यवस्‍था ने जबरदस्‍त मंदी और गिरावट के बुरे दौर देखें है। जनता की नजरों में साल 2008 में सेंसेक्‍स 8509 हजार के स्‍तर पर जाकर चारों खाने चित हुआ है। 1992 में हर्षद मेहता घोटाला ने बाजार को तगड़ी चोट पहुंचाई। उस वक्‍त सेंसेक्‍स 2311 अंकों पर ट्रेड कर रहा था।

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क्‍या आपने वित्‍तीय लक्ष्‍यों को हासिल कर लिया?

अगर आप म्‍यूचुअल फंड एसआईपी के जरिए लम्‍बी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं। आपको नेगेटिव रिटर्न दिखने पर मानस‍िक कष्‍ट हो रहा है। आपके मन में एसआईपी बंद कर सारा पैसा निकालने के विचार जोर से आ रहे हैं। तो उपरोक्‍त तथ्‍यों के अलावा आपको खुद से भी कुछ सवाल पूछने हैं। जैसे-

1- क्‍या आपने उन वित्‍तीय लक्ष्‍यों को हासिल कर लिया है, जिनके लिए आपने निवेश शुरू किया था?

2-क्‍या आप साल- दो साल में अपने वित्‍तीय लक्ष्‍यों को प्राप्‍त कर लेंगे?

3- क्‍या आपको पैसों की जबरदस्‍त जरूरत आन पड़ी हैं ?

अगर तीनों सवालों का जवाब ना में हैं तो आपको घबराने और चिंता करने की कतई जरूरत नहीं हैं। हमेशा सही वित्‍तीय योजनाएं बनाकर निवेश करें। जब भी आप धैर्य और संयम दिखाते हुए लम्‍बी अवधि तक अनुशासित तरीके से निवेश करते हैं। तो आपको अच्‍छे रिटर्न हासि‍ल करने से कोई नहीं रोक सकता।

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